फिर छोड़ कर चले गए



फिर छोड़ कर चले गए मिल तो लेते कम से कम जाने से पहले दर्शन तो दे देते जिससे हम भी तसल्ली दे देते अपने जिगर को पर तुम्हे तो परवाह ही नहीं है कितना कष्ट होता है बिछुड़ने का तू तो घर जाकर बहुत खुश होगे क्योंकि माँ बाप जो तुम्हे मिल गए होंगे पर हम चाहते हैं तुम्हे उतना ही जितना की तुम्हारे अपने वो बात अलग है कि तुम मुझे कितना अपना समझती हो मै तो बाट जोह रहा हूँ तुमसे फिर से मिलन को जबकि पता है तुम इस बार आओगी दिनों में पर हम झेल लेंगे सारा कष्ट तुमसे मिलन को बिन बताये तुम घर चले गए करके अकेले (भूपेन्द्र प्रताप सिंह )

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