वो हैं इतने बुझदिल और कायर
अपने आसपास होती छेड़छाड़
नजरअंदाज़ कर देते हैं
पर जैसे ही उनकी नजर
प्रेमी जोड़े पर जाती है
इक नजारा नजर आता है
नजर में दोष इतना कि
प्रेम भी पाप नजर आता है
नज़रों में जलन और नफरत इतनी
कि बिना रुके टोकने लगते
उनको ललकारने लगते
कहते है कि ये गन्दा काम क्यों
यहाँ तुम ऐसा नहीं कर सकते (भूपेन्द्र )
you poem is very excellence.young thinking reavaled well.
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