युद्ध से कभी कुछ
आबाद नहीं होता
बना हुआ जहां
बर्बाद होता है
क्या बीतती होगी
उनपर जो है
सीमा के नजदीक
किसान ,सैनिक ,बूढ़े और
बच्चे
बारूद का आग उगलता
गोला
तबाही का मंजर ही
तो पेश करता है
खेत में काम करते
किसान की छाती में
धस जाती हैं एल एम
जी की मोटी गोलियां
वो तो बेचारा बे
फिकर था इस मंजर से
अपने आँचल से दूध
पिलाती माँ के
ऊपर भी आग का गोला
गिरता है
स्कूल में , अस्पतालों में भी आसमान से गोले
गिरते हैं
सो रहे सैनिकों के
ऊपर भी ...
धुआँ और आग से
त्राही माम मच जाता है
जीवन का चक्र ही
बदल जाता है
हरे भरे खेत , जंगल ,पेड़ ,पौधे भी काले हो जाते हैं
गाय , भैंस ,बकरी भी
मर जाते हैं
मेहनत से बनाए गए
आशियाने
भी पल भर में उजड़
जाते हैं
फिर भी कुछ लोग कहते हैं
युद्ध तो होना
चाहिए
लड़ाई तो होनी
चाहिए
शायद वो बेखबर हैं
इस मंजर से (भूपेन्द्र प्रताप सिंह )