शनिवार, 8 सितंबर 2012

तुम अच्छे हो

मैंने इस छोटे से जीवन में 
बहुत प्यारे लोगों को पाया 
किन्तु तुम उन सबमे 
सबसे अनोखी और प्यारी हो
क्योंकि तुम्हारी मासूमियत 
और तुम्हारा भोलापन 
मुझे हमेशा तुम्हारी ओर
जाने क्यों आकर्षित करता है 
इतना ज्यादा भोली ख़ूबसूरती 
कभी नहीं देखी किसी मे
तुझमे जो सच्चाई है 
सबसे बड़ी अच्छाई है 
ओर जब तेरी आँखों 
की ओर लौटता हूँ 
तो गजब हो जाता है 
उनमे इतना खो जाता हूँ 
की सारे जहाँ को आसानी से 
भूल सा जाता हूँ 
तेरी बातें तो ऐसी होती हैं 
जो हमेशा अपनापन का अहसास 
करवाती रहती हैं 
तू इतनी अच्छी कैसे है 
क्यों है 
तेरे प्यार में भी 
मासूमियत क्यों 
भरी पड़ी है 
तू बता दे मुझे ! भूपेन्द्र प्रताप सिंह

तुम अच्छे हो 

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