मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

"झूठ का आवरण"

विराट ठंड में भी लोगबाग "झूठ का आवरण"ओढ़ने से बाज नहीं आएंगे। वैसे भी खाली-पीली हममें से कई, दुनियादारी के तमाम बोझों के साथ-साथ झूठे आवरणों का बोझ लिए घूमते रहते हैं। बिना मतलब का। अब ठंड में कई लोग टोपा और मफलर से परहेज करेंगे। उन्हें लगता है कि इस दिल्ली एनसीआर में उनके शैंपू और कंडिशनर किए बालों को निहारने के लिए कई लोग खाली बैठे हैं। उन्होने क्या पहना है? सब यही देखने के लिए जगह-जगह तैनात हैं। जबकि असल में इस भागम-भाग किसे इतनी फुरसत? सिर्फ भोली-भाली प्रमेिका के। कोई बड़ा-बूढ़ा, जो फुरसत में होगा.. पूछेगा कि "भइ कानों में ठंड नहीं लगती " तो कह देंगे- न ।