मैं लाख कोसता हूँ इस दुनिया को
जबसे जन्मा हूँ खूब लुत्फ उठा रहा हूँ
कहता हूँ कि पेड़ मत काटो
पर मैंने खुद कितने पेड़ लगाए हैं
खूब बरगद की छाया में खेला
खूब फल फूलों का लुत्फ उठाया है
दोषारोपण करता कि हम पिछड़े हैं
अरे मैंने आगे बढ़ाने के लिए क्या किया
न कोई आविष्कार न कोई चमत्कार
जो छत मुझे नसीब हुई किसी और की
मेहनत और पसीने से बनी थी
अब तक किया क्या है मैंने
बस इस सुंदर दुनिया का
लुत्फ ही तो उठाया है
मनोरंजन तो किया मैंने
पर मैंने दूसरों का मनोरंजन किया है
कभी
दूसरों के आविष्कारों का
दूसरों कि मेहनत का लुत्फ उठाया है
जो मैं खाता हूँ
बनाता कोई और उगाता कोई और है
जिस सड़क पर चलता हूँ
कितनी मेहनत और कितना पसीना
बहाया होगा उस मनुष्य ने
गंतव्य तक पहुचाने वाले की मेहनत
तमाम कारीगरों, मेहनतकशों,
वैज्ञानिकों
तुम्हें नज़रअंदाज़ करता रहा हूँ मैं
इस दुनिया को खूबसूरत बनाने वालो
ताजमहल, किले और महल बनाने वालों
तुमने कितनी मेहनत की होगी
हम तो बस मजे लेते हैं
सुंदर बाग बगीचों का
कुछ खयाल ही नहीं रहता
जिन्होने पुल, बांध बनाए होंगे
जरा पुंछ खुद से तूने इस दुनिया को
क्या दिया
जो हक है तुझे आलोचना करने का
अब बेहतर होगा कि आलोचना से पहले
कुछ तू भी दे दे , कुछ बना दे इस दुनिया के लिए
अभी तक तूने सिर्फ भोगा ही तो है
किया क्या है
किताबें ,कपड़े ,बर्तन ,घर ,सड़क ,वाहन, भोजन, तकनीक, खेल
तूने क्या बनाया ? क्या है तेरा योगदान ? जो मैं कह सकूँ मेरा भारत महान ........भूपेन्द्र
good one Bhoopendra...
जवाब देंहटाएंthnaks prashantji
हटाएंvery good bhoopendra ji.we have a lot of responsibilities.so carry on .....
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